नई दिल्ली : दिल्ली में लाल किले पर झंडा फहराने को लेकर दीप सिंह सिद्धू का नाम सामने आया है। वायरल वीडियो में लाल किले पर पंथ का झंडा फहराने के फुटेज को ध्यान से देखने पर साफ हो जाता है कि उस उपद्रवी भीड़ का नेतृत्व दीप सिद्धू कर रहा था। दीप सिद्धू गुरदासपुर से सांसद सन्नी देवल का दाहिना हाथ है और उसे किसान संगठन मंच से भाषण देने से रोक चुके हैं। वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू और ऐसे ही कुछ उपद्रवियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। इस बीच दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा पर लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा है कि आज के उपद्रव के पीछे सिख फॉर जस्टिस का हाथ है।
खालिस्तानी दीप सिद्धू ने साज़िश रची। लाल किला पर जो झंडा फहराया गया वो सिखी झंडा नहीं था। हमारा धार्मिक झंडा केसरी होता है पीला नहीं, जिन्होंने लाल क़िला पर कब्ज़ा किया और उपद्रव मचाया वो खालिस्तानी थे। किसान आज के उपद्रव में शामिल नहीं था। NIA की जांच हो और जो भी इसके पीछे है, उसको आज ही रात में जेल में डाला जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा, “किसानों का शांतिपूर्ण आंदोलन तोड़ने के लिए साजिश रची गई है। लाल किले जैसी सुरक्षित जगह पर आखिर इतनी सुरक्षा के बीच कोई कैसे पहुंच गया। सीधा-सादा किसान तो दिल्ली का रास्ता भी नहीं जानते, किसानों को गुमराह करके और रास्ता भटकाकर ले जाया गया है। दिल्ली पुलिस और सरकार पूरी तरह फेल हो गई है। किसान इन साजिशों से घबराने वाले नहीं हैं, आंदोलन जारी रहेगा। आंदोलन में पुलिस की गोली से शहीद हुए किसान को एक करोड़ से अधिक मुआवजा मिलना चाहिए। किसानों की संपत्ति का जो नुकसान हुआ है, केंद्र सरकार को उसकी भरपाई करनी चाहिए। किसानों के ट्रैक्टरों में पुलिस ने तोड़फोड़ की है। किसान आंदोलन के खिलाफ पूरी साजिश रची गई है।
Slogan given by my grandfather Lal Bahadur Shastri was for real kisans not these Khalistanis.
Do we need more proof that this not a kisan andolan? https://t.co/qlNufmcl1y
— Mahima Shastri | महिमा शास्त्री 🇮🇳 (@MahimaShastri) January 26, 2021
अमित शाह के घर पर चली दो घंटे बैठक
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर पर दो घंटे बैठक चली। इसमें आईबी निदेशक और गृह सचिव समेत तमाम आला अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में हालात की समीक्षा के बाद अनेक संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात करने के लिए कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों को अभी भी हिंसा की आशंका है। किसान परेड में हिंसा के बाद गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। CRPF की 10 कंपनियां तैनात होंगी। अर्ध सैनिक बलों की कुल 15 कंपनी तैनात होंगी। उपद्रवियों से पूरी ताकत से निपटने के निर्देश दिए गए हैं। आईटीओ पर अभी भी उपद्रवियों का कब्जा है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने यह आदेश दिए हैं।
#WATCH Violence continues at ITO in central Delhi, tractors being driven by protestors deliberately try to run over police personnel pic.twitter.com/xKIrqANFP4
— ANI (@ANI) January 26, 2021
सख्ती से निपटने के आदेश
दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के आदेश दिए हैं। पैरामिलिट्री फोर्स के पंद्रह सौ जवान सड़कों पर उतारे जा रहे हैं। वहीं हरियाणा के पुलिस महानिदेशक, मनोज यादव ने पुलिस हाई अलर्ट जारी किया है, जिसमें सभी जिला पुलिस प्रमुखों को बेहद सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है। दिल्ली पुलिस के संयुक्त कमिश्नर आलोक कुमार ने बताया, “किसान नेताओं के साथ बातचीत में रूट निर्धारित किए गए थे, परंतु आज सुबह 9:30 बजे एक गुट ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की और गाजीपुर बॉर्डर के पास पहली झड़प पुलिस के साथ हुई। पुलिस द्वारा उन्हें रोकने की कोशिश की गई।
राहुल ने किया यह ट्वीट
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा है कि हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा। उन्होंने सरकार से फिर से अपील की है कि देश हित के लिए कृषि-विरोधी क़ानून वापस लिए जाएं।
शरद पवार ने क्या कहा
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने दिल्ली में हुए बवाल पर कहा कि आज दिल्ली में जो हुआ कोई भी उसका समर्थन नहीं करता, परंतु इसके पीछे के कारण को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। पिछले कई दिनों से किसान धरने पर बैठे थे, भारत सरकार की ज़िम्मेदारी थी कि सकारात्मक बात कर हल निकालना चाहिए था। वार्ता हुई, लेकिन कुछ हल नहीं निकला।
आम आदमी पार्टी का कथन
दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में भड़की हिंसा की कड़ी निंदा करती है। पार्टी ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के कुछ वर्गों को शहर में जाने से रोका गया तो वे पुलिस से भिड़ गए, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई।